Saturday, 19 September 2015

PHUDHU (पागल)

"यह पानी की बोंडे नहीं यह मेरे लहूँ के लछे हैं ,
हमे पागल रहने दो हम पागल ही अच्छे  है। 
जो निकालते हैं हम्मे गलतियाँ कहदो उन्हें वह बच्चे हैं ,
 हमे पागल रहने दो हम पागल ही अच्छे  है।
इधर की उधर लगाओगे मेरा दिल जलाओगे ,
क्या सोच के रखा था हम कानो के कच्चे हैं ,
हमे पागल रहने दो हम पागल ही अच्छे  है।
चुप रहा तोह नाइंसाफी ,सच कहा तोह घुसताखी ,
बोल तोह कढ़वे लगने ही हैं क्यूकि हम दिल के सच्चे हैं ,
हमे पागल रहने दो हम पागल ही अच्छे  है।
ना में शायर हूँ पल दो पल का ना पल दो पल मेरी कहानी है ,
ना में शायर हूँ  पल दो पल का ना में आया हूँ पल दो पल के लिए ,
तुम आज तोह पत्थर बरसालो कल रोह्गे मुझ पागल के लिए ,
हमे पागल रहने दो हम पागल ही अच्छे  है।"

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