हिन्दू या मुस्लमान के अहसासात को मत छेड़ीए
अपनी कुर्सी के लिए जज्बात को मत छेड़िए
हममे कोई हूण,कोई शक ,कोई मंगोल है
दफ़न है जो बात ,अब उस बात को मत छेड़िए
गलतियाँ बाबर की थी ,जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाजुक वक़्त में हालात को मत छेड़िए
है कहाँ हिटलर ,हलाकू , जार या चंगेज खाँ
मिट जाए सब ,कौम की औकात को मत छेड़िए
छेड़िए इक जंग ,मिल -जुल कर गरीबी के खिलाफ
दोस्त मेरे मजहबी नगमात को मत छेड़िए
-आदम जोंडवी
अपनी कुर्सी के लिए जज्बात को मत छेड़िए
हममे कोई हूण,कोई शक ,कोई मंगोल है
दफ़न है जो बात ,अब उस बात को मत छेड़िए
गलतियाँ बाबर की थी ,जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाजुक वक़्त में हालात को मत छेड़िए
है कहाँ हिटलर ,हलाकू , जार या चंगेज खाँ
मिट जाए सब ,कौम की औकात को मत छेड़िए
छेड़िए इक जंग ,मिल -जुल कर गरीबी के खिलाफ
दोस्त मेरे मजहबी नगमात को मत छेड़िए
-आदम जोंडवी
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