Wednesday 22 March 2017

सफ़र में धुप तो होगी जो चल सको तो चलो- BY NIDA FAZLI

सफ़र में धुप तो होगी जो चल सको  तो चलो। 
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो।।

इधर-उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलो 
बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो।  
सफ़र में धुप तो होगी जो चल सको  तो चलो।।

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं 
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सहो तो चलो।
सफ़र में धुप तो होगी जो चल सको  तो चलो।।

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता 
मुझे  गिराके अगर तुम संम्भहल सको तो चलो। 
सफ़र में धुप तो होगी जो चल सको  तो चलो।।

यही है जिंदगी कुछ ख्याब चन्द उम्मीदें 
इन्ही खिलौंनो से तुम भी बहल सको तो चलो। 
सफ़र में धुप तो होगी जो चल सको  तो चलो।।

हर इक सफर को हैं महफूस रास्ते की तलाश 
हिफ़ाज़तों की रियावत बदल सको तो चलो। 
सफ़र में धुप तो होगी जो चल सको  तो चलो।।

कहीं नहीं कोई सूरज , धुँआ धुँआ हैं फ़िज़ा 
ख़ुद अपने आप से बाहार निकल सको तो चलो। 
सफ़र में धुप तो होगी जो चल सको  तो चलो।।




Saturday 4 March 2017

मैं शुन्य पर सवार हूँ - BY ZAKIR KHAN


मैं शुन्य पर सवार हूँ ,
मैं शुन्य पर सवार हूँ ,
बे अदब सा मैं खूमार हूँ,
अब मुश्किलो से क्या डरु,
मैं ख़ुद केहर हज़ार हूँ ,
 मैं शुन्य पर सवार हूँ। 

यह ऊँच नीच से परे ,
मजाल आँख में भरे ,
मैं लढ़ पढ़ा हूँ रात से ,
मशाल हाँथ में लिए ,
ना सूर्ये मेरे सात है 
तो क्या नई यह बात हैं 
वह शाम को है ढल गया 
वह रात से था डर गया  
मैं जुगनुओं का यार हूँ ,
मैं शुन्य पर सवार हूँ। 

भावनाएँ है मर चुकी,
सामवेदनाए हैं ख़त्म हो चुकि,
अब दर्द  से क्या डरूँ,
यह जिंदगी ही ज़ख़्म है ,
मैं रहती मात हूँ ,
मैं बेजान स्याह रात हूँ,
मैं काली का श्रृंगार हूँ
मैं शुन्य पर सवार हूँ। 
मैं शुन्य पर सवार हूँ।

हूँ राम का सा तेज मैं,
लंका पति सा ज्ञान हूँ ,
किसकी करू मैं आराधना ,
सबसे जो मैं महान हूँ ,
ब्राह्मण का मैं सार हूँ ,
मैं जल प्रवाह निहार हूँ,
मैं शुन्य पर सवार हूँ। 

मैं शुन्य पर सवार हूँ।