Wednesday 16 December 2015

SUNITA KATYAL POETRY: हाले दिल

SUNITA KATYAL POETRY: हाले दिल: रफ्ता रफ्ता रात यूहीं ढलती रही दिल में तेरी याद की छुरियाँ सी चलती रहीं दिल में उठे तूफ़ान की कानों कान न हुई किसी को खबर सुबह सुर्ख आँख...