Thursday, 22 October 2015

यह वो समय है

यह वो समय है जब 
कट  चुकी है फसल 
और नया बोने का दिन नहीं 
खेत पड़े हैं उधारे
अन्यमन्सक है  मिटटी सहसा धुप में पड  कर -
हर थोड़ी दूर पर मेंडो की छाँह 
चमकती है कटी खूँटियाँ 
दूर  पर चरती भेड़ो के रेवड़ 
और मुसकोल
और चीटियों के बिल के बाहर मिटटी चूर 
यह वो समय है जब 
शेष हो चुका है पुराना 
और नया आने को शेष है 
  - अरुण कमल 
(शाहित्य अकादमी अवार्ड विनर) 

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